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प्रत्यावर्ती धारा का परिचय (Introduction to Alternating Current)
- प्रत्यावर्ती धारा (AC) की परिभाषा:
- प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो समय के साथ अपनी दिशा और परिमाण को नियमित रूप से बदलती रहती है।
- AC और DC का अंतर:
- DC (Direct Current) में धारा का परिमाण और दिशा स्थिर रहती है, जबकि AC में धारा की दिशा और परिमाण दोनों समय के साथ बदलते हैं।
- उदाहरण:
- हमारे घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत शक्ति प्रत्यावर्ती धारा का एक सामान्य उदाहरण है।
प्रत्यावर्ती धारा का गणितीय निरूपण (Mathematical Representation of AC)
- साइन-वेव रूप:
- प्रत्यावर्ती धारा को साइन-वेव (sinusoidal wave) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
- समीक:
- I(t) = Iₒ sin(ωt + ϕ)
- V(t) = Vₒ sin(ωt + ϕ)
- जहाँ Iₒ और Vₒ अधिकतम धारा और वोल्टेज, ω कोणीय आवृत्ति, t समय और ϕ प्रारंभिक चरण कोण है।
- आवृत्ति (Frequency):
- यह धारा के एक पूरे चक्र को पूरा करने में लगने वाले समय की संख्या को दर्शाता है।
- SI इकाई: हर्ट्ज़ (Hz)
- उदाहरण: भारत में घरेलू आपूर्ति की आवृत्ति 50 Hz होती है।
प्रत्यावर्ती धारा के घटक (Components of AC)
- अधिकतम मूल्य (Peak Value):
- अधिकतम धारा या वोल्टेज का वह परिमाण जिसे धारा या वोल्टेज अपने चक्र के दौरान प्राप्त करता है।
- औसत मूल्य (Average Value):
- प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टेज का औसत परिमाण, जो एक आधे चक्र के दौरान मापा जाता है।
- समीक: Iavg = 2Iₒ / π
- प्रभावी या RMS मूल्य (Root Mean Square Value):
- यह वह DC के परिमाण के बराबर है जो समान ऊष्मा प्रभाव उत्पन्न करता है।
- समीक: Irms = Iₒ√ 2
- धारा और वोल्टेज के बीच का फेज़ अंतर (Phase Difference):
- दो प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टेज तरंगों के बीच के चरण कोण का अंतर।
प्रतिरोध, प्रेरकत्व, और संधारित्र में प्रत्यावर्ती धारा (AC through Resistor, Inductor, and Capacitor)
- प्रतिरोध (Resistor):
- जब प्रत्यावर्ती धारा को एक प्रतिरोध के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है, तो धारा और वोल्टेज एक ही चरण में होते हैं।
- सम्बन्ध: V(t) = IR
- प्रेरकत्व (Inductor):
- प्रेरकत्व प्रत्यावर्ती धारा में धारा को वोल्टेज के पीछे रहने के लिए बाध्य करता है।
- सम्बन्ध: VL(t) = L dI(t) / dt
- फेज अंतर: धारा 90° पीछे रहती है।
- संधारित्र (Capacitor):
- संधारित्र में, प्रत्यावर्ती धारा वोल्टेज के 90° आगे होती है।
- सम्बन्ध: VC(t) = 1 / C ∫ I (t) dt
एलसीआर परिपथ (LCR Circuit)
- एलसीआर परिपथ की परिभाषा:
- यह एक विद्युत परिपथ होता है जिसमें एक प्रतिरोध (R), प्रेरकत्व (L), और संधारित्र (C) श्रृंखला या समानांतर में जुड़े होते हैं।
- शृंखला एलसीआर परिपथ (Series LCR Circuit):
- इम्पीडेंस (Impedance) का सूत्र:
- Z = R² + (XL − XC)²
- जहाँ XL = ωL प्रेरक प्रतिरोध (Inductive Reactance) और XC = 1 / ωC संधारित्र प्रतिरोध (Capacitive Reactance) है।
- फेज कोण (Phase Angle):
- अनुक्रिया (Resonance):
- जब XL = XC, तब परिपथ में अनुक्रिया की स्थिति उत्पन्न होती है, जहाँ इम्पीडेंस न्यूनतम होता है और धारा अधिकतम।
- समानांतर एलसीआर परिपथ (Parallel LCR Circuit):
- समानांतर परिपथ में धारा और वोल्टेज के बीच का संबंध थोड़ा भिन्न होता है, और इम्पीडेंस की गणना भी अलग होती है।
प्रत्यावर्ती धारा की शक्ति (Power in AC Circuit)
- तत्कालिक शक्ति (Instantaneous Power):
- किसी क्षण पर धारा और वोल्टेज के गुणनफल द्वारा दी गई शक्ति।
- समीक: P(t) = V(t) ⋅ I(t)
- औसत शक्ति (Average Power):
- प्रत्यावर्ती धारा में औसत शक्ति RMS धारा और वोल्टेज के गुणनफल और फेज कोण के कोसाइन से दी जाती है।
- समीक: Pavg = Vrms ⋅ Irms ⋅ cosϕ
- शक्ति गुणांक (Power Factor):
- यह धारा और वोल्टेज के बीच के फेज कोण के कोसाइन के बराबर होता है।
- समीक: Power Factor = cosϕ
अनुक्रिया और इम्पीडेंस (Resonance and Impedance)
- अनुक्रिया (Resonance):
- यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब प्रेरक और संधारित्र का प्रतिरोध समान होता है, यानी XL = XC।
- इस स्थिति में, इम्पीडेंस न्यूनतम होता है और धारा अधिकतम।
- अनुक्रिया की आवृत्ति:
- इम्पीडेंस (Impedance):
- यह कुल प्रभावी प्रतिरोध है जो प्रतिरोध, प्रेरकत्व, और संधारित्र के सम्मिलित प्रभाव से उत्पन्न होता है।
प्रत्यावर्ती धारा के अनुप्रयोग (Applications of Alternating Current)
- ट्रांसफार्मर:
- यह प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टेज को एक स्तर से दूसरे स्तर पर परिवर्तित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- मोटर और जनरेटर:
- AC मोटर और जनरेटर विभिन्न यांत्रिक कार्यों के लिए विद्युत ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
- रेडियो और टेलीविजन:
- प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग रेडियो और टीवी प्रसारण के लिए किया जाता है।