प्रकाशिकी वह शाखा है जिसमें प्रकाश के व्यवहार, उसकी प्रकृति, तथा प्रकाश के साथ जुड़े उपकरणों का अध्ययन किया जाता है।
किरण प्रकाशिकी (Ray Optics):
किरण प्रकाशिकी वह भाग है जिसमें प्रकाश को एक सीधी रेखा में चलने वाली किरण के रूप में माना जाता है, और यह गीओमेट्रिकल प्रकाशिकी (Geometrical Optics) के नाम से भी जाना जाता है।
प्रकाशिक यंत्र (Optical Instruments):
वे यंत्र जो प्रकाश की सहायता से वस्तुओं को देखने में, उनका अध्ययन करने में या उनका विश्लेषण करने में उपयोग किए जाते हैं, जैसे लेंस, प्रिज्म, सूक्ष्मदर्शी, दूरबीन आदि।
परावर्तन और अपवर्तन (Reflection and Refraction)
परावर्तन का नियम (Law of Reflection):
जब प्रकाश की किरण एक सतह पर गिरती है, तो वह सतह से परावर्तित होती है।
नियम:
आपतन कोण (θi) परावर्तन कोण (θr) के बराबर होता है, और आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।
अपवर्तन का नियम (Law of Refraction):
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अपने पथ को बदल लेती है।
स्नेल का नियम (Snell’s Law):
sin i / sin r = n2 / n1
जहाँ n1 और n2 क्रमशः पहले और दूसरे माध्यम के अपवर्तक सूचकांक हैं।
अपवर्तक सूचकांक (Refractive Index):
यह प्रकाश की गति के अनुपात का मापन होता है और इसे निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया जाता है:
n = c / v
जहाँ c निर्वात में प्रकाश की गति और v माध्यम में प्रकाश की गति है।
वक्रता वाले दर्पण (Spherical Mirrors)
वक्रता वाले दर्पण की परिभाषा (Definition of Spherical Mirrors):
वक्रता वाले दर्पण वे दर्पण होते हैं जिनकी सतह गोलाकार होती है। ये दो प्रकार के होते हैं: अवतल (Concave) और उत्तल (Convex)।
महत्वपूर्ण पद (Important Terms):
ध्रुव (Pole, P): दर्पण का केंद्र बिंदु।
केन्द्र (Center of Curvature, C): वह बिंदु जो दर्पण के वक्रता के केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है।
मुख्य अक्ष (Principal Axis): ध्रुव और केन्द्र को जोड़ने वाली रेखा।
फोकस (Focus, F): वह बिंदु जहाँ सभी समानांतर किरणें परावर्तित होने के बाद मिलती हैं।
फोकस दूरी (Focal Length, f): फोकस और ध्रुव के बीच की दूरी।
दर्पण का सूत्र (Mirror Formula):
1 / f = 1 / v + 1 / u
जहाँ f फोकस दूरी, v प्रतिबिम्ब दूरी, और u वस्तु दूरी है।
परावर्तन द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब (Image Formation by Reflection):
विभिन्न स्थितियों में बनने वाले प्रतिबिम्बों का अध्ययन अवतल और उत्तल दर्पण के लिए किया जाता है। प्रतिबिम्ब वास्तविक और आभासी, सीधा और उल्टा, बढ़ा हुआ और छोटा हो सकता है।
पतली लेंस (Thin Lenses)
लेंस की परिभाषा (Definition of Lenses):
लेंस एक पारदर्शी सामग्री से बना हुआ ऐसा उपकरण होता है जो प्रकाश की किरणों को अपवर्तन के माध्यम से एकत्रित करता है या फैलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं: उत्तल (Convex) और अवतल (Concave)।
महत्वपूर्ण पद (Important Terms):
सामने वाला फोकस (Principal Focus): वह बिंदु जहाँ समानांतर किरणें अपवर्तित होने के बाद मिलती हैं या मिलती प्रतीत होती हैं।
फोकस दूरी (Focal Length, f): फोकस और लेंस के केंद्र के बीच की दूरी।
लेंस का सूत्र (Lens Formula):
1 / f = 1 / v − 1 / u
जहाँ f फोकस दूरी, v प्रतिबिम्ब दूरी, और u वस्तु दूरी है।
विवर्धन (Magnification) का सूत्र:
m = v / u = Image Height / Object Height
प्रिज्म (Prism)
प्रिज्म की परिभाषा (Definition of Prism):
प्रिज्म एक पारदर्शी सामग्री से बना हुआ उपकरण होता है जिसमें दो तिरछे पृष्ठ होते हैं जो प्रकाश की किरणों को अपवर्तित करते हैं।
प्रिज्म द्वारा अपवर्तन (Refraction by Prism):
जब प्रकाश की किरण प्रिज्म में प्रवेश करती है, तो वह दो बार अपवर्तित होती है: एक बार प्रवेश करते समय और दूसरी बार बाहर निकलते समय।
विचलन कोण (Angle of Deviation, δ\deltaδ):
विचलन कोण वह कोण है जिससे प्रकाश की किरण अपने मूल पथ से विचलित हो जाती है।
समीक:δ = (i + e) − A
जहाँ i आपतन कोण, e अपवर्तन कोण, और A प्रिज्म कोण है।
अभिकृत विचलन (Minimum Deviation, δm\delta_mδm):
वह स्थिति जब आपतन कोण और अपवर्तन कोण समान होते हैं, और विचलन न्यूनतम होता है।
विभेदन क्षमता (Resolving Power)
विभेदन क्षमता की परिभाषा (Definition of Resolving Power):
विभेदन क्षमता किसी यंत्र की वह क्षमता होती है जिससे वह दो पास-पास स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से पृथक दिखा सकता है।
सूक्ष्मदर्शी और दूरबीन की विभेदन क्षमता:
सूक्ष्मदर्शी में विभेदन क्षमता का सूत्र:
R = 2μ sinθ / λ
जहाँ μ माध्यम का अपवर्तक सूचकांक, θ आपतन कोण, और λ प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है।
दूरबीन में विभेदन क्षमता:
R = D / 1.22λ
जहाँ DDD दूरबीन का व्यास है।
7. प्रकाशिक यंत्र (Optical Instruments)
सूक्ष्मदर्शी (Microscope):
सरल सूक्ष्मदर्शी (Simple Microscope):
यह एक उत्तल लेंस का उपयोग करता है और एक आभासी, सीधा और बड़ा प्रतिबिम्ब उत्पन्न करता है।
विवर्धन (Magnification):
m = 1+ D/f
जहाँ D स्पष्ट दृष्टि की दूरी और f लेंस की फोकस दूरी है।
यौगिक सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope):
इसमें दो उत्तल लेंस होते हैं: एक अभिदृश्य लेंस (Objective Lens) और एक नेत्रिका लेंस (Eyepiece Lens)। यह दो चरणों में प्रतिबिम्ब उत्पन्न करता है।
कुल विवर्धन:
m = mₒ × mₑ = vₒ / uₒ × D / fₑ
जहाँ mₒ अभिदृश्य लेंस का विवर्धन और mₑ नेत्रिका लेंस का विवर्धन है।
दूरबीन (Telescope):
खगोलीय दूरबीन (Astronomical Telescope):
यह दूरबीन दूर स्थित खगोलीय पिंडों को देखने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें एक अभिदृश्य लेंस और एक नेत्रिका लेंस होता है।
विवर्धन:
m = fₒ / fₑ
जहाँ fₒ अभिदृश्य लेंस की फोकस दूरी और fₑ नेत्रिका लेंस की फोकस दूरी है।
परावर्ती दूरबीन (Reflecting Telescope):
इसमें एक उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है जो प्रकाश की किरणों को एकत्रित करता है और एक लेंस के माध्यम से प्रतिबिम्ब बनाता है।
यह उच्च विभेदन क्षमता के लिए उपयुक्त होती है।
प्रायोगिक उदाहरण (Practical Examples)
प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन (Refraction by Prism):
जब सफेद प्रकाश को प्रिज्म से होकर गुजारा जाता है, तो यह सात रंगों में विभाजित हो जाता है, जिसे विकिरण या स्पेक्ट्रम कहते हैं।
विभिन प्रकाशिक यंत्रों का प्रयोग (Use of Different Optical Instruments):
सूक्ष्मदर्शी और दूरबीन का प्रयोग वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान में किया जाता है, जैसे कि कोशिकाओं का अध्ययन, तारों और ग्रहों का निरीक्षण, आदि।