प्रायिकता
प्रायिकता = संभावित परिणामों की संख्या / कुल परिणामों की संख्या जहाँ n(E) = E के अवयवों की संख्या और n(S) प्रतिदर्श समष्टि के अवयवों की संख्या है।
प्रायिकता = संभावित परिणामों की संख्या / कुल परिणामों की संख्या जहाँ n(E) = E के अवयवों की संख्या और n(S) प्रतिदर्श समष्टि के अवयवों की संख्या है।
माध्य = आंकड़ों का योग / आंकड़ों की संख्या माध्य = ∑x / n ∑ = जोड़ का संकेत x = आंकड़ों का संकेत, तथा n = आंकड़ों की कुल संख्या मध्यिका (M) = {(n+1)/2}वाँ पद मध्यिका M = [(n/2)वाँ पद + {(n/2)+1}वाँ]/2 आंकड़ों के समूह में जिस बिंदु की आवृति सबसे अधिक होता है. वह बहुलक होता है।
वृताकार वलय का क्षेत्रफल π (R2 – r2) अर्द्धवृत्त की परिधि ( π r + 2 r ) अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल 1/2πr² बेलन का आयतन πr2h बेलन का वक्रपृष्ठ का क्षेत्रफल 2πrh बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ का क्षेत्रफल 2πr ( h + r ) शंकु का आयतन 1/3 πr2h शंकु के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल πrl
पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Read More »
क्षेत्रफल: A = √[ s ( s – a ) ( s – b ) ( s – c ) ]जहाँ s अर्द्ध परिमाप है = (a + b + c) / 2 और a, b, एवं c त्रिभुज तीनों भुजाओं की लम्बाई है।
(a+b)2 = a2 + b2 + 2ab (x + y + z)2 = x2 + y2 + z2 + 2xy + 2yz + 2xz (a-b)2 = a2 + b2 – 2ab (x – y + z)2 = x2 + y2 + z2 – 2xy – 2yz + 2xz (a+b) (a-b) = a2 – b2 (x + y – z)2 = x2 + y2 + z2 + 2xy – 2yz – 2xz (a + b)3 =
ज्यामितीय आकृति क्षेत्रफल परिमाप आयत A= l × w P = 2 × (l+w ) त्रिभुज A = (1⁄2) × b × h P = a + b + c चतुर्भुज A = (1⁄2) × h × (b1+ b2) P = a + b + c + d समनांतर चतुर्भुज A = b × h
an xn + an-1 xn-1 + an-3 xn-3 + an-4 xn-4 …… ax + a0 के रूप में रहने वाले व्यंजक को बहुपद कहते है। यदि किसी व्यंजक के सभी पदों का घात एक धनात्मक पूर्णाक हो, तो वह बहुपद कहलाता है। एकपदी बहुपद: एक पद वाले बहुपद को एकपदी बहुपद कहते है। जैसे: 3, x, x2 आदि. द्विपदी बहुपद: दो पदों वाले बहुपद को द्विपदी
संख्या पद्धति गणित की सबसे पहली इकाई है यह संख्याओं को समझे एवं गणना करने में मदद करती है। प्राकृत संख्या: वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, वह प्राकृत संख्या कहलाती है। जैसे: 1, 2, 3, 4, 5,6,7, . . . . पूर्ण संख्या: प्राकृत संख्याओं के समूह में