जनन (Reproduction) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव नए संतानों का उत्पादन करते हैं। यह प्रक्रिया जीवों की संख्या बढ़ाने और उनके अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती है।
1. जनन के प्रकार (Types of Reproduction)
जनन दो प्रकार के होते हैं:
- अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction): इसमें एक ही माता-पिता से संतानों का उत्पादन होता है, और संतानें माता-पिता के समान होती हैं।
- लैंगिक जनन (Sexual Reproduction): इसमें दो माता-पिता (नर और मादा) से संतानों का उत्पादन होता है, और संतानें माता-पिता के गुणों का मिश्रण होती हैं।
2. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
अलैंगिक जनन के विभिन्न प्रकार होते हैं:
- खंडन (Fission):
- द्विखंडन (Binary Fission): जैसे अमीबा।
- अनेकखंडन (Multiple Fission): जैसे प्लाज्मोडियम।
- मुकुलन (Budding): इसमें नए जीव का निर्माण माता जीव के शरीर पर एक कली के रूप में होता है। जैसे यीस्ट, हाइड्रा।
- स्पोर निर्माण (Spore Formation): जैसे फफूंद।
- पुनरुत्पत्ति (Regeneration): इसमें जीव का एक हिस्सा अलग हो कर नया जीव बना लेता है। जैसे प्लैनारिया।
- वीजीटेटिव प्रजनन (Vegetative Propagation): इसमें पौधों के अंगों (जड़, तना, पत्ती) से नए पौधे बनते हैं। जैसे आलू, प्याज, गुलाब।
3. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
लैंगिक जनन में नर और मादा गैमेट्स का संलयन होता है।
- पौधों में लैंगिक जनन:
- फूल के भाग:
- पुंकेसर (Stamen): परागकण (Pollen grains) का निर्माण करता है।
- अंडप (Pistil): अंडाशय (Ovary), वर्तिका (Style), वर्तिकाग्र (Stigma)।
- परागण (Pollination): परागकण का पुंकेसर से अंडप के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण।
- स्वपरागण (Self-pollination): एक ही फूल में।
- परपरागण (Cross-pollination): एक फूल से दूसरे फूल में।
- निषेचन (Fertilization): परागकण और अंडाणु का संलयन।
- बीज और फल का निर्माण: निषेचन के बाद अंडाशय फल और अंडाणु बीज में परिवर्तित हो जाता है।
- फूल के भाग:
- जानवरों में लैंगिक जनन:
- मानव जनन तंत्र:
- पुरुष जनन तंत्र (Male Reproductive System): वृषण (Testes), शुक्रवाहिनी (Vas deferens), वीर्यकोष (Seminal vesicle), लिंग (Penis)।
- स्त्री जनन तंत्र (Female Reproductive System): अंडाशय (Ovaries), अंडवाहिनी (Fallopian tubes), गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina)।
- गैमेट्स का निर्माण: वृषण में शुक्राणु (Sperm) और अंडाशय में अंडाणु (Ovum) का निर्माण।
- निषेचन (Fertilization): शुक्राणु और अंडाणु का संलयन।
- भ्रूण विकास (Embryonic Development): निषेचन के बाद भ्रूण का विकास गर्भाशय में होता है।
- जन्म (Birth): भ्रूण का पूर्ण विकास के बाद जन्म।
- मानव जनन तंत्र:
4. डी.एन.ए. प्रतिलिपि और विविधता (DNA Replication and Variation)
डी.एन.ए. (DNA) प्रतिलिपि द्वारा गुणसूत्रों की जानकारी संतानों में स्थानांतरित होती है, जिससे संतानों में विविधता आती है। यह विविधता जीवों के विकास और अनुकूलन में सहायक होती है।