अर्धचालक वे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता शून्य (परिपूर्ण अचालक) और उच्च चालकता (परिपूर्ण चालक) के बीच होती है।
अर्धचालक की चालकता तापमान, अशुद्धियों (डोपिंग), और प्रकाश के प्रभाव से बदलती है।
सिलिकॉन (Si) और जर्मेनियम (Ge) सामान्य अर्धचालक हैं।
अर्धचालकों का प्रकार (Types of Semiconductors)
शुद्ध अर्धचालक (Intrinsic Semiconductors):
शुद्ध अर्धचालक में केवल मूल तत्व के परमाणु होते हैं। इनमें कोई भी अशुद्धि नहीं होती।
तापमान के प्रभाव से शुद्ध अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन-छिद्र (electron-hole) युग्म उत्पन्न होते हैं।
उदाहरण: शुद्ध सिलिकॉन, शुद्ध जर्मेनियम।
अशुद्ध अर्धचालक (Extrinsic Semiconductors):
अशुद्ध अर्धचालक वे अर्धचालक होते हैं जिनमें कुछ मात्रा में अशुद्धियाँ मिलाई जाती हैं ताकि उनकी चालकता बढ़ाई जा सके।
डोपिंग (Doping):
डोपिंग वह प्रक्रिया है जिसमें शुद्ध अर्धचालक में नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ मिलाई जाती हैं।
एन-प्रकार अर्धचालक (n-type Semiconductor):
इसमें पाँच संयोजकता वाले तत्व (जैसे फॉस्फोरस, आर्सेनिक) की डोपिंग की जाती है।
यह अर्धचालक नकारात्मक चार्ज वाले इलेक्ट्रॉनों का अधिशेष प्रदान करता है।
पी-प्रकार अर्धचालक (p-type Semiconductor):
इसमें तीन संयोजकता वाले तत्व (जैसे बोरॉन, एल्युमिनियम) की डोपिंग की जाती है।
यह अर्धचालक सकारात्मक चार्ज वाले छिद्रों का अधिशेष प्रदान करता है।
पी-एन संधि (P-N Junction)
पी-एन संधि का निर्माण (Formation of P-N Junction):
जब एक n-type अर्धचालक और एक p-type अर्धचालक को एक साथ जोड़ा जाता है, तो पी-एन संधि बनती है।
संधि पर, n-क्षेत्र के इलेक्ट्रॉन और p-क्षेत्र के छिद्र एक-दूसरे के पास आकर मिलते हैं और पुनर्संयोजन (recombination) होता है, जिससे एक अनुप्रस्थ क्षेत्र (depletion region) बनता है।
पी-एन संधि का व्यवहार (Behavior of P-N Junction):
पारगम्यता (Forward Bias):
जब P क्षेत्र को सकारात्मक और N क्षेत्र को नकारात्मक ध्रुवता दी जाती है, तो पी-एन संधि पारगम्य हो जाती है और धारा प्रवाहित होती है।
विपरीतगम्यता (Reverse Bias):
जब P क्षेत्र को नकारात्मक और N क्षेत्र को सकारात्मक ध्रुवता दी जाती है, तो संधि अवरुद्ध हो जाती है और धारा नहीं प्रवाहित होती।
डायोड (Diodes)
डायोड का सिद्धांत (Principle of Diode):
पी-एन संधि डायोड एक दिशा में धारा को प्रवाहित करता है और दूसरी दिशा में धारा को अवरुद्ध करता है।
डायोड के प्रकार (Types of Diodes):
जेनर डायोड (Zener Diode):
जेनर डायोड को विपरीतगम्यता में उपयोग किया जाता है, और यह एक निश्चित वोल्टेज पर धारा को प्रवाहित करना शुरू करता है। इसका उपयोग वोल्टेज नियामक (voltage regulator) के रूप में किया जाता है।
फोटो डायोड (Photo Diode):
यह डायोड प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है और इसके आने से धारा प्रवाहित होती है।
डायोड के अनुप्रयोग (Applications of Diodes):
डायोड का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में रेक्टिफायर (rectifier), क्लिपर (clipper), क्लैम्पर (clamper), और वोल्टेज नियामक के रूप में किया जाता है।
ट्रांजिस्टर (Transistors)
ट्रांजिस्टर की संरचना (Structure of Transistor):
ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक यंत्र है जिसमें तीन परतें होती हैं: एमिटर (Emitter), बेस (Base), और कलेक्टर (Collector)।
ट्रांजिस्टर के दो प्रकार होते हैं: n-p-n ट्रांजिस्टर और p-n-p ट्रांजिस्टर।
ट्रांजिस्टर का कार्य (Working of Transistor):
ट्रांजिस्टर का उपयोग धारा को नियंत्रित करने और प्रवर्धन (amplification) के लिए किया जाता है।
बेस पर मामूली इनपुट धारा एमिटर और कलेक्टर के बीच बड़ी धारा को नियंत्रित करती है।
ट्रांजिस्टर का अनुप्रयोग (Applications of Transistor):
ट्रांजिस्टर का उपयोग स्विच, प्रवर्धक, और ऑसिलेटर के रूप में किया जाता है।
यह कंप्यूटर, रेडियो, टीवी, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
लॉजिक गेट्स (Logic Gates)
लॉजिक गेट्स का परिचय (Introduction to Logic Gates):
लॉजिक गेट्स डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के मूल निर्माण खंड होते हैं। ये द्विविधीय (binary) इनपुट के आधार पर आउटपुट उत्पन्न करते हैं।
प्रकार (Types of Logic Gates):
AND Gate:
यह गेट तब हाई आउटपुट देता है जब इसके सभी इनपुट हाई हों।
OR Gate:
यह गेट तब हाई आउटपुट देता है जब इसके किसी भी इनपुट हाई हो।
NOT Gate:
यह गेट इनपुट के विपरीत आउटपुट देता है; इनपुट हाई होने पर आउटपुट लो और इनपुट लो होने पर आउटपुट हाई होता है।
NAND Gate:
यह AND गेट का विपरीत है; इसका आउटपुट तब लो होता है जब सभी इनपुट हाई हों।
NOR Gate:
यह OR गेट का विपरीत है; इसका आउटपुट तब लो होता है जब कोई भी इनपुट हाई हो।
लॉजिक गेट्स के अनुप्रयोग (Applications of Logic Gates):
लॉजिक गेट्स का उपयोग डिजिटल सर्किट जैसे कंप्यूटर, कैलकुलेटर, और अन्य डिजिटल उपकरणों में किया जाता है।
इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuits – ICs)
इंटीग्रेटेड सर्किट का परिचय (Introduction to ICs):
इंटीग्रेटेड सर्किट्स में बहुत सारे ट्रांजिस्टर, डायोड, रेजिस्टर और कैपेसिटर एक छोटी सिलिकॉन चिप पर एकीकृत होते हैं।
ICs छोटे, कम बिजली खपत वाले, और उच्च गति वाले होते हैं।
ICs के प्रकार (Types of ICs):
एनालॉग ICs:
एनालॉग सिग्नल को प्रोसेस करते हैं, जैसे ऑडियो ऐम्प्लिफायर।
डिजिटल ICs:
डिजिटल सिग्नल को प्रोसेस करते हैं, जैसे लॉजिक गेट्स।
ICs के अनुप्रयोग (Applications of ICs):
ICs का उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल फोन, डिजिटल कैमरा, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।