परमाणु किसी भी पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है जो उसके रासायनिक गुणों को बनाए रखती है।
प्रत्येक परमाणु के भीतर एक नाभिक (nucleus) होता है, जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, और इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford’s Atomic Model)
अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग (Alpha-Particle Scattering Experiment):
रदरफोर्ड ने एक पतली सोने की पन्नी पर अल्फा-कणों की बौछार की और देखा कि अधिकांश कण बिना विचलित हुए पन्नी से गुजर जाते हैं, जबकि कुछ कण अत्यधिक विचलित हो जाते हैं।
रदरफोर्ड का निष्कर्ष:
परमाणु के अंदर एक छोटा, सघन, सकारात्मक आवेशित केंद्र होता है, जिसे नाभिक कहते हैं, और इलेक्ट्रॉन इस नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
परमाणु मॉडल:
रदरफोर्ड के मॉडल में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉनों का परिक्रमा करना बताया गया, लेकिन इस मॉडल में इलेक्ट्रॉनों की स्थिरता की समस्या को स्पष्ट नहीं किया गया।
बोर का परमाणु मॉडल (Bohr’s Atomic Model)
बोर का सिद्धांत (Bohr’s Postulates):
स्थिर कक्षाएँ (Stable Orbits):
इलेक्ट्रॉन केवल निश्चित कक्षाओं में ही नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, और इन कक्षाओं में वे ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं करते।
ऊर्जा का क्वांटम सिद्धांत (Quantum of Energy):
इलेक्ट्रॉन कक्षाओं के बीच तब स्थानांतरित होता है जब वह ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण करता है।
ऊर्जा का समीकरण:En = −13.6eV / n²
जहाँ n कक्षा का मुख्य क्वांटम संख्या है।
उत्सर्जन और अवशोषण स्पेक्ट्रा (Emission and Absorption Spectra):
जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर पर जाता है, तो वह ऊर्जा का उत्सर्जन करता है, जो एक फोटॉन के रूप में निकलता है।
जब इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर पर जाता है, तो वह ऊर्जा का अवशोषण करता है।
बोर मॉडल की उपलब्धियाँ:
इस मॉडल ने हाइड्रोजन जैसे सरल परमाणुओं के स्पेक्ट्रा को स्पष्ट रूप से समझाया और परमाणु की स्थिरता की समस्या को भी हल किया।
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम (Hydrogen Spectrum)
स्पेक्ट्रम की परिभाषा (Definition):
जब हाइड्रोजन परमाणु से गुजरते हुए इलेक्ट्रॉन विभिन्न ऊर्जा स्तरों पर स्थानांतरित होते हैं, तो वे विभिन्न तरंगदैर्ध्यों की किरणें उत्सर्जित करते हैं। इन किरणों को एक स्पेक्ट्रम में देखा जा सकता है।
स्पेक्ट्रम की श्रृंखला (Spectral Series):
लाइमन श्रृंखला (Lyman Series):
जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तरों से n = 1 स्तर पर स्थानांतरित होते हैं, तो यह श्रृंखला उत्पन्न होती है। यह पराबैंगनी (UV) क्षेत्र में होती है।
बाल्मर श्रृंखला (Balmer Series):
जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तरों से n=2 स्तर पर आते हैं, तो यह दृश्य क्षेत्र में उत्पन्न होती है।
पैशेन श्रृंखला (Paschen Series):
जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तरों से n=3 स्तर पर आते हैं, तो यह अवरक्त (IR) क्षेत्र में होती है।
ब्रैकेट श्रृंखला (Bracket Series):
n=4 स्तर पर संक्रमण के दौरान उत्पन्न होती है और यह अवरक्त क्षेत्र में होती है।
पफुंड श्रृंखला (Pfund Series):
n=5 स्तर पर संक्रमण के दौरान उत्पन्न होती है और यह अवरक्त क्षेत्र में होती है।
रिडबर्ग सूत्र (Rydberg Formula):
समीकरण:1 / λ = R(1/n²1 − 1 / n²2)
जहाँ λ उत्सर्जित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य, R रिडबर्ग स्थिरांक, n1 और n2 ऊर्जा स्तर हैं।
परमाणु का कक्षीय मॉडल और कणिका तरंग द्वैत (Orbital Model and Particle-Wave Duality)
क्वांटम यांत्रिकी का परिचय (Introduction to Quantum Mechanics):
इलेक्ट्रॉनों को अब तरंग और कण दोनों के रूप में माना जाता है, जो हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत और श्रोडिंगर समीकरण से जुड़े होते हैं।
कक्षीय मॉडल (Orbital Model):
इस मॉडल में, इलेक्ट्रॉनों को नाभिक के चारों ओर घुमावदार तरंगों के रूप में माना जाता है, और उनकी स्थिति और संवेग को एक साथ मापा नहीं जा सकता।
श्रोडिंगर समीकरण (Schrodinger Equation):
यह समीकरण परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन के तरंग रूप को बताता है।
रदरफोर्ड और बोर मॉडल की सीमाएँ (Limitations of Rutherford and Bohr Models)
रदरफोर्ड मॉडल की सीमाएँ:
यह मॉडल इलेक्ट्रॉनों के स्थिरता को स्पष्ट नहीं कर पाया, और यह भी नहीं बता सका कि इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर क्यों नहीं जाते।
बोर मॉडल की सीमाएँ:
यह मॉडल केवल हाइड्रोजन और हाइड्रोजन जैसे एकल-इलेक्ट्रॉन परमाणुओं के लिए उपयुक्त था। यह बहु-इलेक्ट्रॉन परमाणुओं और अन्य प्रभावों को स्पष्ट नहीं कर सका।
परमाणु के अन्य मॉडल (Other Models of Atom)
समय के साथ परमाणु मॉडल में सुधार हुआ, और क्वांटम यांत्रिकी ने परमाणु की जटिलता को समझाने में बड़ी भूमिका निभाई।
डे-ब्रोगली तरंगदैर्ध्य (de Broglie Wavelength):
समीकरण:λ = h / mv
जहाँ λ तरंगदैर्ध्य, h प्लांक का स्थिरांक, m द्रव्यमान, और v कण की गति है।