ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
☞ 12 अगस्त, 1817 को बरकागढ़ की राजधानी सतरंजी में नागवंशी कुल में इनका जन्म हुआ। 23 वर्ष की अवस्था में इन्होंने जागीरदारी का कार्य संभाला।
☞ इन्होंने अपनी राजधानी सतरंजी से हटाकर हटिया स्थानान्तरित की तथा इन्होंने कर नहीं देने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
☞ इन्होंने हजारीबाग के विद्रोही सैनिकों का नेतृत्व किया, किन्तु चतरा की लड़ाई में इन्हें अंग्रेजों से पराजित होकर लोहरदगा के जंगलों में छिपना पड़ा और वहीं से इन्होंने छापामार युद्ध चलाया।
☞ 16 अप्रैल, 1858 को इन्हें फांसी दे दी गई।