अध्याय 15 – संचार व्यवस्था

परिचय (Introduction) संचार का अर्थ (Meaning of Communication): संचार का अर्थ है सूचना का एक स्थान से दूसरे स्थान पर आदान-प्रदान। इसमें संदेश, संकेत, या डाटा का प्रसारण शामिल होता है। संचार व्यवस्था (Communication System): संचार व्यवस्था में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं: सूचना स्रोत (Information Source), संचार माध्यम (Communication Medium), और गंतव्य […]

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अध्याय 3 – विद्युत धारा

विद्युत धारा की परिभाषा (Definition of Electric Current) परिभाषा: विद्युत धारा किसी चालक के माध्यम से आवेश के प्रवाह को संदर्भित करती है। जब आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु की ओर गति करता है, तो इसे विद्युत धारा कहा जाता है। सूत्र: I = Q / t​ जहां I विद्युत धारा है, Q कुल आवेश है

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अध्याय 4 – गतिमान आवेश और चुम्बकत्त्व

चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) परिभाषा: चुम्बकीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें चुम्बकीय बल किसी चार्ज या चुंबक पर क्रिया करता है। प्रतीक और SI इकाई: चुम्बकीय क्षेत्र को B से दर्शाया जाता है। इसकी SI इकाई टेस्ला (T) है। चुम्बकीय क्षेत्र के गुणधर्म: चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उस दिशा में होती है जिसमें उत्तर ध्रुव गति

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अध्याय 5 – चुम्बकत्व एवं द्रव्य

चुम्बकीय क्षेत्र और चुम्बकीय बल (Magnetic Field and Magnetic Force) चुम्बकीय क्षेत्र (B): चुम्बकीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें एक चुम्बकीय ध्रुव या गतिमान आवेश पर चुम्बकीय बल कार्य करता है। इसकी दिशा और परिमाण को एक चुंबक के उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर चुंबकीय रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है। चुम्बकीय बल: यह

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अध्याय 6 – विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का परिचय (Introduction to Electromagnetic Induction) परिभाषा: विद्युत चुम्बकीय प्रेरण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी चालक में चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। महत्व: यह सिद्धांत विद्युत जनरेटर, ट्रांसफार्मर, और कई विद्युत उपकरणों के कार्य करने के आधार को समझने में सहायक है। फैराडे का विद्युत चुम्बकीय

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अध्याय 7 – प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा का परिचय (Introduction to Alternating Current) प्रत्यावर्ती धारा (AC) की परिभाषा: प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो समय के साथ अपनी दिशा और परिमाण को नियमित रूप से बदलती रहती है। AC और DC का अंतर: DC (Direct Current) में धारा का परिमाण और दिशा स्थिर रहती है, जबकि AC में धारा की

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अध्याय 8 – विद्युत चुम्बकीय तरंगें

परिचय (Introduction) विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic Waves) की परिभाषा: विद्युत चुम्बकीय तरंगें ऐसी तरंगें हैं जो विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों के समय-समय पर बदलते हुए संयोजन से बनती हैं। ये तरंगें अंतरिक्ष में बिना किसी माध्यम के भी यात्रा कर सकती हैं। प्रकृति: ये अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं, अर्थात् इनमें विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर

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अध्याय 9 – किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यन्त्र

परिचय (Introduction) प्रकाशिकी की परिभाषा (Definition of Optics): प्रकाशिकी वह शाखा है जिसमें प्रकाश के व्यवहार, उसकी प्रकृति, तथा प्रकाश के साथ जुड़े उपकरणों का अध्ययन किया जाता है। किरण प्रकाशिकी (Ray Optics): किरण प्रकाशिकी वह भाग है जिसमें प्रकाश को एक सीधी रेखा में चलने वाली किरण के रूप में माना जाता है, और

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अध्याय 10 – तरंग प्रकाशिकी

परिचय (Introduction) तरंग प्रकाशिकी (Wave Optics): तरंग प्रकाशिकी प्रकाश की तरंग प्रकृति पर आधारित है। इस अध्याय में प्रकाश की वे घटनाएँ शामिल होती हैं जिन्हें तरंग सिद्धांत से समझाया जा सकता है, जैसे व्यतिकरण, विवर्तन, और ध्रुवण। ह्यूजेंस सिद्धांत (Huygens’ Principle): ह्यूजेंस ने प्रस्तावित किया कि प्रकाश की प्रत्येक बिंदु तरंग को एक नया

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अध्याय 1 – विद्युत आवेश तथा क्षेत्र

विद्युत आवेश विद्युत आवेश की परिभाषा: विद्युत आवेश एक मौलिक गुण है जो पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में बल अनुभव कराता है। आवेश के प्रकार: सकारात्मक आवेश: एक प्रकार का विद्युत आवेश जो इलेक्ट्रॉन के कमी से उत्पन्न होता है। नकारात्मक आवेश: एक प्रकार का विद्युत आवेश जो इलेक्ट्रॉन के अधिशेष से उत्पन्न होता है।

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