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परिचय
- प्राकृतिक संसाधन वे सामग्री और ऊर्जा स्रोत हैं जो प्रकृति से प्राप्त होते हैं और मानव अस्तित्व और विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
- पृथ्वी पर जीवन के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, जैसे जल, वायु, मृदा, खनिज, वनस्पति और जीव।
पृथ्वी: जीवन का पालना
- पृथ्वी के जीवन का समर्थन करने वाले तीन मुख्य घटक हैं:
- जलमंडल: पृथ्वी का जल भाग, जिसमें महासागर, समुद्र, नदियाँ, झीलें, जलाशय और भूमिगत जल शामिल हैं।
- वायुमंडल: पृथ्वी को घेरने वाली गैसों की परत, जिसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसें शामिल हैं।
- स्थलमंडल: पृथ्वी की ठोस सतह, जिसमें मिट्टी, चट्टानें और खनिज शामिल हैं।
वायुमंडल
- वायुमंडल पृथ्वी को चारों ओर से घेरता है और जीवन के लिए आवश्यक गैसों का स्रोत है।
- वायुमंडल की विभिन्न परतें:
- क्षोभमंडल: सबसे निचली परत, जहाँ मौसम की घटनाएँ होती हैं।
- समतापमंडल: ओजोन परत यहाँ पाई जाती है, जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है।
- मध्यमंडल: इस परत में उल्काएं जलती हैं।
- तापमंडल: सबसे ऊपरी परत, जहाँ वायुमंडल का घनत्व बहुत कम होता है।
जल
- जल पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- जल चक्र: जल का सतत पुनर्चक्रण जिसमें वाष्पीकरण, संघनन, वर्षा और संचय शामिल हैं।
- जल के विभिन्न स्रोत:
- सतही जल: नदियाँ, झीलें, समुद्र।
- भूमिगत जल: जलाशय, कुएँ।
मृदा (मिट्टी)
- मृदा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है और विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होती है।
- मृदा निर्माण की प्रक्रिया:
- चट्टानों का अपक्षय
- जैविक पदार्थों का विघटन
- मृदा के प्रकार:
- बालुई मिट्टी (रेतीली मृदा)
- दुमट मिट्टी (दोमट मृदा)
- चिकनी मिट्टी (काली मृदा)
बायोस्फीयर (जीवमंडल)
- बायोस्फीयर पृथ्वी की वह परत है जहाँ जीवन पाया जाता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र: जीवों और उनके पर्यावरण के बीच परस्पर क्रियाओं का समूह।
- पारिस्थितिकी तंत्र के घटक:
- जैविक घटक: पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव।
- अजैविक घटक: जल, वायु, मृदा, प्रकाश।
जैवमंडल के घटक
- उत्पादक: पौधे जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बनाते हैं।
- उपभोक्ता: वे जीव जो पौधों और अन्य जीवों पर निर्भर होते हैं।
- अपघटक: वे जीव जो मृत जीवों और उनके अपशिष्ट पदार्थों का विघटन करते हैं।
पर्यावरणीय समस्याएँ
- प्रदूषण: वायु, जल, मृदा प्रदूषण।
- प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन।
- वन्यजीवों का नुकसान।
- जलवायु परिवर्तन।
संसाधनों का संरक्षण
- जल संरक्षण: जल संचयन, जल पुनर्चक्रण।
- वनों का संरक्षण: वनीकरण, वन संरक्षण।
- ऊर्जा संरक्षण: ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग।
- मृदा संरक्षण: मृदा अपरदन को रोकना, जैविक खेती।