परिचय

  • खाद्य संसाधनों का सुधार जनसंख्या वृद्धि के साथ बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कृषि, पशुपालन और मछली पालन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करके खाद्य उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

कृषि में सुधार

  • फसल उत्पादन के तरीके:
    • गहन खेती: उच्च उपज देने वाली किस्मों और उर्वरकों का उपयोग।
    • फसल चक्रीकरण: मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए विभिन्न फसलों का चक्रीकरण।
    • फसल विविधता: एक ही समय पर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती।
  • खेत की तैयारी:
    • मिट्टी की जुताई, समतलीकरण, खाद का उपयोग।
  • फसल की सुरक्षा:
    • कीट नियंत्रण: जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग।
    • रोग नियंत्रण: प्रतिरोधी किस्मों का चयन, फसल चक्रीकरण।

खाद और उर्वरक

  • जैविक खाद:
    • गोबर, कम्पोस्ट, हरी खाद।
    • मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार।
  • रासायनिक उर्वरक:
    • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम युक्त उर्वरक।
    • फसलों की वृद्धि को तेज करना।

सिंचाई

  • सिंचाई के तरीके:
    • नहर सिंचाई, ट्यूबवेल, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई।
    • जल की बचत और समान वितरण।

फसल संरक्षण

  • कीट और रोग प्रबंधन:
    • जैविक नियंत्रण विधियाँ: लाभकारी कीटों का उपयोग।
    • रासायनिक नियंत्रण: कीटनाशक, फफूंदनाशक।
    • एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM): पर्यावरण अनुकूल तरीकों का संयोजन।

पशुपालन

  • पशु पालन के लाभ:
    • दूध, मांस, अंडे, ऊन, चमड़ा उत्पादन।
    • कृषि कार्यों में उपयोग: बैल, घोड़े।
  • पशु प्रजनन:
    • चयनात्मक प्रजनन, क्रॉस ब्रीडिंग।
    • उच्च उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार।
  • पशु स्वास्थ्य:
    • नियमित टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल।
    • संतुलित आहार और स्वच्छता।

मछली पालन

  • मत्स्य पालन के प्रकार:
    • अंतर्देशीय मत्स्य पालन: ताजे पानी की मछलियाँ।
    • समुद्री मत्स्य पालन: समुद्री मछलियाँ।
  • मछली पालन के तरीके:
    • पॉन्ड संस्कृति, पिंजरा संस्कृति, समुद्री संस्कृति।
    • उच्च उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तरीके।

मधुमक्खी पालन (एपिकल्चर) और रेशम कीट पालन (सेरीकल्चर)

  • मधुमक्खी पालन:
    • शहद और मोम उत्पादन।
    • पौधों का परागण।
  • रेशम कीट पालन:
    • रेशम का उत्पादन।
    • विशेष रूप से शहतूत के पत्तों पर कीटों की खेती।

खाद्य उत्पादन में प्रौद्योगिकी का उपयोग

  • जैव प्रौद्योगिकी:
    • जीएम फसलें (जेनेटिकली मोडिफाइड फसलें)।
    • उच्च उपज, रोग प्रतिरोधकता।
  • मशीनीकरण:
    • ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, सिंचाई उपकरण।
    • श्रम बचत और कार्यकुशलता में सुधार।

खाद्य संसाधनों का सतत प्रबंधन

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण:
    • जल, मृदा संरक्षण।
    • जैव विविधता का संरक्षण।
  • सतत कृषि विधियाँ:
    • जैविक खेती, प्राकृतिक खेती।
    • पर्यावरण अनुकूल प्रथाएँ।