अध्याय 11 – विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

परिचय (Introduction) द्वैत प्रकृति (Dual Nature): 20वीं सदी की शुरुआत में, यह सिद्ध हुआ कि प्रकाश और द्रव्य दोनों में द्वैत प्रकृति होती है, अर्थात् वे तरंग और कण दोनों के गुण दर्शाते हैं। विकिरण: इसमें प्रकाश की तरंग और कण गुणधर्मों का अध्ययन किया जाता है। द्रव्य: इसमें इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों और अन्य सूक्ष्म कणों […]

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अध्याय 12 – परमाणु

परिचय (Introduction) परमाणु (Atom): परमाणु किसी भी पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है जो उसके रासायनिक गुणों को बनाए रखती है। प्रत्येक परमाणु के भीतर एक नाभिक (nucleus) होता है, जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, और इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं। रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford’s Atomic Model) अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग (Alpha-Particle Scattering

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अध्याय 13 – नाभिक

परिचय (Introduction) नाभिक (Nucleus): परमाणु के केंद्र में स्थित एक छोटा, घना भाग होता है जिसे नाभिक कहते हैं। इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, जिन्हें सम्मिलित रूप से न्यूक्लियॉन कहते हैं। नाभिक का आकार अत्यंत छोटा होता है, लेकिन इसमें पूरे परमाणु के अधिकांश द्रव्यमान का समावेश होता है। नाभिक का आकार और द्रव्यमान

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अध्याय 14 – अर्धचालक इलेक्ट्रोनिकी

परिचय (Introduction) अर्धचालक (Semiconductors): अर्धचालक वे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता शून्य (परिपूर्ण अचालक) और उच्च चालकता (परिपूर्ण चालक) के बीच होती है। अर्धचालक की चालकता तापमान, अशुद्धियों (डोपिंग), और प्रकाश के प्रभाव से बदलती है। सिलिकॉन (Si) और जर्मेनियम (Ge) सामान्य अर्धचालक हैं। अर्धचालकों का प्रकार (Types of Semiconductors) शुद्ध अर्धचालक (Intrinsic Semiconductors):

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अध्याय 15 – संचार व्यवस्था

परिचय (Introduction) संचार का अर्थ (Meaning of Communication): संचार का अर्थ है सूचना का एक स्थान से दूसरे स्थान पर आदान-प्रदान। इसमें संदेश, संकेत, या डाटा का प्रसारण शामिल होता है। संचार व्यवस्था (Communication System): संचार व्यवस्था में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं: सूचना स्रोत (Information Source), संचार माध्यम (Communication Medium), और गंतव्य

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अध्याय 3 – विद्युत धारा

विद्युत धारा की परिभाषा (Definition of Electric Current) परिभाषा: विद्युत धारा किसी चालक के माध्यम से आवेश के प्रवाह को संदर्भित करती है। जब आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु की ओर गति करता है, तो इसे विद्युत धारा कहा जाता है। सूत्र: I = Q / t​ जहां I विद्युत धारा है, Q कुल आवेश है

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अध्याय 4 – गतिमान आवेश और चुम्बकत्त्व

चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) परिभाषा: चुम्बकीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें चुम्बकीय बल किसी चार्ज या चुंबक पर क्रिया करता है। प्रतीक और SI इकाई: चुम्बकीय क्षेत्र को B से दर्शाया जाता है। इसकी SI इकाई टेस्ला (T) है। चुम्बकीय क्षेत्र के गुणधर्म: चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उस दिशा में होती है जिसमें उत्तर ध्रुव गति

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अध्याय 5 – चुम्बकत्व एवं द्रव्य

चुम्बकीय क्षेत्र और चुम्बकीय बल (Magnetic Field and Magnetic Force) चुम्बकीय क्षेत्र (B): चुम्बकीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें एक चुम्बकीय ध्रुव या गतिमान आवेश पर चुम्बकीय बल कार्य करता है। इसकी दिशा और परिमाण को एक चुंबक के उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर चुंबकीय रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है। चुम्बकीय बल: यह

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अध्याय 6 – विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का परिचय (Introduction to Electromagnetic Induction) परिभाषा: विद्युत चुम्बकीय प्रेरण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी चालक में चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। महत्व: यह सिद्धांत विद्युत जनरेटर, ट्रांसफार्मर, और कई विद्युत उपकरणों के कार्य करने के आधार को समझने में सहायक है। फैराडे का विद्युत चुम्बकीय

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अध्याय 7 – प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा का परिचय (Introduction to Alternating Current) प्रत्यावर्ती धारा (AC) की परिभाषा: प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो समय के साथ अपनी दिशा और परिमाण को नियमित रूप से बदलती रहती है। AC और DC का अंतर: DC (Direct Current) में धारा का परिमाण और दिशा स्थिर रहती है, जबकि AC में धारा की

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